यीशु के संदेश में नारी की दशा
- Vishal Arya
- Jan 5, 2020
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Updated: Jan 10, 2020

— विशाल आर्य
वर्तमान में ईसाई कट्टरपंथी एक बड़े स्तर पर देश के भोली भाले लोगो को मूर्ख बनाकर, तथाकथित जन्नत और ईसा के झूठे संदेश बनाकर मतान्तरण कर रहे है। परन्तु यदि हम बाईबिल का अध्ययन करते हैं तो हमे ज्ञात होता है कि इस किताब में नारियों को बहुत निम्न स्तर का समझा गया है।स्त्रियों को अपने अधीन करने के लिए काल्पनिक बाते लिखी गई। इस किताब में से नारी की दशा पर जितना लिखा जाए कम ही होगा। पुस्तक मे लिखित नारी की दशा के कुछ अंश निम्न हैं—
1. स्त्री मौन रहे उसे बोलने का अधिकार नही
11 और स्त्री को चुपचाप पूरी आधीनता में सीखना चाहिए।
12 और मैं कहता हूं, कि स्त्री न उपदेश करे, और न पुरूष पर आज्ञा चलाए, परन्तु चुपचाप रहे।
13 क्योंकि आदम पहिले, उसके बाद हव्वा बनाई गई।
14 और आदम बहकाया न गया, पर स्त्री बहकाने में आकर अपराधिनी हुई।—(तीमुथियुस के नाम पहला पत्र२:११-१३)
2. प्रतिशोध के लिए स्त्रियों की मृत्यु
17 सो अब बाल-बच्चों में से हर एक लड़के को, और जितनी स्त्रियों ने पुरूष का मुंह देखा हो उन सभों को घात करो।
18 परन्तु जितनी लड़कियों ने पुरूष का मुंह न देखा हो उन सभों को तुम अपने लिये जीवित रखो।—(गिनती३१:१४-१८)
16 फिर स्त्री से उसने कहा, मैं तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु:ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़ित हो कर बालक उत्पन्न करेगी; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी, और वह तुझ पर प्रभुता करेगा।—(उत्पत्ति ३:१६)
3. स्त्रियों को अपने अधीन करने का निर्णय
34 स्त्रियां कलीसिया की सभा में चुप रहें, क्योंकि उन्हें बातें करने की आज्ञा नहीं, परन्तु आधीन रहने की आज्ञा है: जैसा व्यवस्था में लिखा भी है।
35 और यदि वे कुछ सीखना चाहें, तो घर में अपने अपने पति से पूछें,—(१कुरंथिनो१४:३४-३५)
5 परन्तु जो स्त्री उघाड़े सिर प्रार्थना या भविष्यद्ववाणी करती है, वह अपने सिर का अपमान करती है, क्योंकि वह मुण्डी होने के बराबर है।
6 यदि स्त्री ओढ़नी न ओढ़े, तो बाल भी कटा ले; यदि स्त्री के लिये बाल कटाना या मुण्डाना लज्ज़ा की बात है, तो ओढ़नी ओढ़े।—(१कुरंथिनो११:५-७)
20 पर यदि तू अपने पति को छोड़ दूसरे की ओर फिर के अशुद्ध हुई हो, और तेरे पति को छोड़ किसी दूसरे पुरूष ने तुझ से प्रसंग किया हो,ओर याजक उसे शापदेने वाली शपथ खिलाकर कहे,कि प्रभु तेरी जांघ सडाये ओर तेरा पेट फुलाये……..(गिनती ५:२०)
4. निर्दोश स्त्रियों को यहोवा का दण्ड
11 यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठा कर तुझ पर डालूंगा; और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने ले कर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा।
12 तू ने तो वह काम छिपाकर किया; पर मैं यह काम सब इस्राएलियों के साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा।—(२शमूएल १२:११-१२)
अर्थात् स्त्री भी दण्ड का एक साधन हो गई। ये तो व्यभिचार की स्वतन्त्र छूट है यहोवा की। इस प्रकार स्वतंत्रता से दुराचार, व्यभिचार और सभ्यता को समाप्त करने वाली ये पुस्तक ईश्वरीय पुस्तक कभी नहीं हो सकती।
डीन फरार ने कहा था कि बाईबिल बर्बर लोगो के लिये बर्बर युग मे लिखी गई,एक बर्बर किताब है। अब इस कथन पर सबको विश्वास कर लेना चाहिए।
वैचारिक क्रान्ति के लिए सत्यार्थ प्रकाश पढ़े और वेदों की ओर लौटे !
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